जन्मपत्रिका के द्वादश भाव से "खर्च" का अनुमान लगाया जाता है |
घाटा, व्यय, दंड, कारावास, अस्पताल में भर्ती होना, बुरी आदतें, ध्यान, गुप्त शत्रु, जन्म स्थान से दूर निवास आदि का ज्ञान द्वादश भाव से प्राप्त होता है |
व्यक्ति की सोच से ही व्यक्तित्व का निर्माण होता है, इस व्यक्तित्व विकास में बाधक होती है हमारी (अच्छी / बुरी) आदते | यदि हम एक लाख रुपये कमाए पर हमें जुआ, शराब जैसी बुरी आदते हो तो वह पैसा हमारी बर्बादी का कारण बनता है |
जेल (कारावास) जाना, अस्पताल में भर्ती होना बड़ी बीमारी होना आदि बाते भी हमें द्वादश स्थान के द्वारा ज्ञात होती है |
गुप्त शत्रु तथा चुगलखोरी भी इसी स्थान से जानी जा सकती है |
द्वादश स्थान से दो मुख्य बाते जानी जाती है, विदेश गमन तथा ध्यान (योग मार्ग की उच्चतम अवस्था) |
|| ॐ तत् सत ||
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