गज केसरी योग :-
चन्द्र के केंद्र में गुरु का होना याने “गज-केसरी” योग कहलाता हैं |
संस्कृत में गज का अर्थ हैं “हाथी” और केसरी का अर्थ हैं “शेर” यदि हम केवल इन दो शब्दों के अर्थ को समझ ले, तो आसानी से इस योग के बारे में समझ जायेंगे, क्योंकि “एक जंगल के राजा हैं तो दुसरे सबसे विशालकाय प्राणी” |
जिस जातक की कुंडली में गज केसरी योग होता हो और यदि वो दूषित न हो (किसी पाप ग्रह से देखा न जाता हो तथा पाप कर्तरी में ना हो) तो ऐसे योग में जन्मे व्यक्ति प्रायः जीवन में सभी प्रकार के सुख प्राप्त करते हैं जैसे,
१. उत्तम कुल (सद आचरण युक्त माता पिता), श्रेष्ठ परिवार आदि प्रारंभिक जीवन की पृष्टभूमि |
२. ऐसे जातको में औरों के मुकाबले सिखने तथा समझने की शक्ति उत्तम होती हैं, यह लोग जल्द ही विषय की गंभीरता को भाप लेते हैं |
३. जीवन में इन्हें अपार सफलता मिलती हैं क्योंकि “खुद महेनत करने में पीछे नहीं हटते” |
४. ऐसे जातको की जान पहचान का दायरा काफी बड़ा होता हैं तथा जन समुदाय से जुड़ने में इन्हें रूचि होती हैं |
५. किसी भी विषय की गहनता को समझने की शक्ति के कारण, “भाषण आदि देने में तथा लोगों को खुद की बात समझाने में माहिर होते हैं” |
|| ॐ तत् सत ||
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