जन्मपत्रिका का षष्ठ भाव जो "शारीरिक रोग" के सम्बन्ध में देखा जाता है |
षष्ठ भाव से विचारणीय विषय कर्जा, रोग, शत्रु, भय, अपमान इस प्रकार है, जो एक बार पढने पर ऐसा लगता है जैसे पूरी पत्रिका की सारी गलत बाते जो हमारे जीवन में घटित होने वाली है, उसका कारण षष्ठ स्थान है, परन्तु ऐसा नहीं है आइये इसे जरा विस्तार से समझते है |
षष्ठ स्थान से रोग, भय, शत्रु आदि देखने में आते है जो की उसकी विशेषता देखने के बाद सत्य प्रतीत होती है, आज के समय में हमारा शरीर यदि स्वस्थ है तो हम हर जगह मांग (demand) में है लेकिन यदि हमारा शारीर हमारा साथ ना दे रहा हो तो हम किसी कर्म के लिए उपयोगी नहीं, शत्रु के बारे में यदि हम जान जाये तो हमारा अहित नहीं किया जा सकता |
एक और महत्वपूर्ण विषय षष्ठ स्थान से देखा जाता है जिसे "कर्ज" कहते है आज के समय में खुद के जीवन स्तर (Life Style) को व्यवस्थित रखने के लिए हर कोई दौड़ रहा है, जीस के लिए हमें कर्ज की भी आवश्यकता होती है, कर्ज आसानी से प्राप्त होना साथ ही नियत समय पर चूका पाना यह भी षष्ठ स्थान से सम्बंधित विषय है |
इसे ध्यान से पढने पर षष्ठ स्थान किस प्रकार उत्तम है यह आसानी से समझा जा सकेगा |
|| ॐ तत् सत ||
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