Monday, 24 April 2017

पंचम भाव


जन्मपत्रिका के पंचम भाव से "विस्तार" देखा जाता है |


विस्तार से सम्बन्ध है हमारी बुद्धि का जिसका विस्तार ज्ञान के रूप में होता है इसी कारण से पंचम भाव हमारे ज्ञान को तथा हमारी बुद्धि की विशेषताओ को दर्शाता है जैसे की हमारी शिक्षा (Study) |


विस्तार का और एक सम्बन्ध है जो पंचम स्थान से देखा जाता है जिसकी समस्त जगत को जरुरत है वो है "संतान" एवं संतान तथा कुटुंब वृद्धि संसार की जरुरत भी, कुटुंब स्थान अर्थात द्वितीय स्थान से चतुर्थ होने के कारण यह कुटुंब का सुख है इसीलिए कुल का विस्तार भी इसी स्थान से देखने में आता है इसी कारण से संतान का विचार भी पंचम भाव से किया जाता है |


हमारा इस जगत में आना यह एक कारण है जो हमें पंचम भाव से ज्ञात होता है | चतुर्थ सुख का कारण है तो पंचम उसका धन अर्थात सुख में विस्तार कैसे हो यह भी पंचम भाव से जाना जाता है |


पंचम भाव से "भक्ति" भी ज्ञात होती हैं, यदि हमारे मन में भक्ति है, स्थिरता है, श्रद्धा हैं, लगन हैं तो हम सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं
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|| ॐ तत् सत ||

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