जन्मपत्रिका में तृतीय स्थान अपने आप मे "एक कर्ता" की भूमिका निभाता है, तृतीय स्थान से व्यक्ति के पराक्रम एवं कर्म करने की क्षमता "कर्म के प्रति जागरुकता तथा कर्म कौशल का पराक्रम" ये बाते ज्ञात होती है |
हमारे शरीर का अत्यंत महत्वपूर्ण अंग जो हमरी भुजाये (हाथ) है उनका विचार इस स्थान से कीया जाता है |
तृतीय स्थान से जहा हम कर्म कुशलता के विषय में जान सकते है उसी प्रकार यदि कर्म करने में या पराक्रम करने में कोई अपयश आ रहा हो तो उसके बारे में भी जाना जा सकता है |
केवल शारीरक पराक्रम ही नहीं वरन भौतिक पराक्रम के बारे में जानने के लिए भी तृतीय स्थान का विशेष महत्व है |
कर्म में आने वाली अकारण समस्या अथवा कर्म पूरा होते होते रुक जाना यह सब हमारे पराक्रम पर ही तो निर्भर करता है |
हमने किसी कार्य के लिए यदि अपना पराक्रम १००% नहीं दिया है तो हम कितने भी बुद्धिशाली हो नुकसान हमारा ही होता है, क्योकि बुद्धि के साथ कर्म का भी तो जोड़ लगता है |
जन्मपत्रिका का तृतीय स्थान हमारे पराक्रम तथा कार्य में हो रही असफलताओ को दर्शाता है |
|| ॐ तत् सत ||
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