पंचांग क्या है ?
=> सर्व प्रथम पंचांग इस शब्द का संधि विग्रह करते है,
पञ्च + अंग = पंचांग.
पंचांग के पञ्च + अंग => १. तिथि, २. वार, ३. नक्षत्र, ४. योग, ५. करण.
पञ्चांग का प्रथम अंग तिथी,
तिथी क्या है ?
=> हमारे शास्त्र में जन्म कब हुआ यह ज्ञात करने के लिए तिथी(Date) का उपयोग होता है.
तिथीयो के नाम,
शुक्ल पक्ष (Bright fort Night):-
१. प्रतिपदा.
२. द्वितीया.
३. तृतीया.
४. चतुर्थी.
५. पंचमी.
६. षष्ठी.
७. सप्तमी.
८. अष्टमी.
९. नवमी.
१०. दशमी.
११. एकादशी.
१२. द्वादशी.
१३. त्रयोदशी.
१४. चतुर्दशी.
१५. पूर्णिमा (पूर्ण चन्द्र दर्शन).
कृष्ण पक्ष (Dark Fort Night):-
१. प्रतिपदा.
२. द्वितीया.
३. तृतीया.
४. चतुर्थी.
५. पंचमी.
६. षष्ठी.
७. सप्तमी.
८. अष्टमी.
९. नवमी.
१०. दशमी.
११. एकादशी.
१२. द्वादशी.
१३. त्रयोदशी.
१४. चतुर्दशी.
१५. अमावस्या (पूर्ण चन्द्र क्षय).
पंचांग के मुख्य अंगो में एक बड़ा ही महत्वपूर्ण अंग होता है, इस अंग से कोई भी अभिन्न नहीं है, अपितु समस्त जन समाज को हमेशा इसकी जानकारी रहती है, इस अंग का नाम है " वार ".
भारतीय कालविधान शास्त्र के अनुसार सात ग्रहो के नाम पर ही वार के नामो का उद्भव हुआ है,
१. रविवार
२. सोमवार
३. मंगलवार
४. बुधवार
५. गुरूवार
६. शुक्रवार
७. शनिवार
अंग्रेजो ने हम पर १५० वर्ष तक साम्राज्य किया, तब से हम (भारतीय) भी आधी रात को ही वार बदल जाता है ऐसा मानने लगे है, परन्तु वार की सत्य परिभाषा " उदयात उदयं वारः " इस प्रकार है,
अर्थात:- सूर्योदय से द्वितीय दिन के सूर्योदय तक एक ही वार होता है.
उदाहरन:- रविवार के सूर्योदय के बाद सोमवार का सूर्योदय होने पर ही सोमवार माना जाएगा.
|| ॐ तत् सत् ||
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