|| ॐ ||
गृह सुख :-
यदि चतुर्थेश चतुर्थ भाव में हो अथवा लग्नेश चतुर्थ में हो अथवा लग्नेश चतुर्थेश परिवर्तन योग (परिवर्तन योग = एक भाव का अधिपति दुसरे में और दुसरे का पहले में) हो एवं शुभ ग्रह की उन पर दृष्टी हो तो घर, आवास का पूर्ण सुख प्राप्त होता हैं | यदि चतुर्थेश स्वराशि, स्वनवांश या उच्च राशि में हो तो जातक को भूमि, घर, संगीत आदि का सुख प्राप्त होता हैं | यदि चतुर्थेश केंद्र या त्रिकोण (१, ४, ५, ७, ९, १०) में हो एवं शुभ ग्रहों से युक्त या दृष्ट हो तो मनुष्य को आरामदायक तथा सुख सुविधा पूर्ण घर की प्राप्ति होती हैं |
गृह चिंता ;-
यदि चतुर्थेश प्रतिकूल स्थिति (नीच राशि, शत्रु राशी, पाप ग्रहों से पिडित) हो तथा त्रिक भावो (६,८,१२) में स्थित हो तो जातक को खुद के घर की चिंता सताती हैं अर्थात खुद का घर प्राप्त होने में कष्ट तथा दुःख प्राप्त होता हैं |
|| ॐ तत् सत् ||
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