|| ॐ ||
भाग्यशाली योग :-
यदि नवम स्थान अधिपति नवम भाव में स्थित हो तो मनुष्य "भाग्यशाली" होता हैं, यदि नवम भाव में गुरु स्थित हो तथा नवमेश (नवम भाव अधिपति) केंद्र स्थान (१, ४, ७, १०) में हो तथा लग्नेश बलवान हो तो मनुष्य बहुत "भाग्यशाली" होता हैं |
यदि नवम स्थान अधिपति नवम भाव में स्थित हो तो मनुष्य "भाग्यशाली" होता हैं, यदि नवम भाव में गुरु स्थित हो तथा नवमेश (नवम भाव अधिपति) केंद्र स्थान (१, ४, ७, १०) में हो तथा लग्नेश बलवान हो तो मनुष्य बहुत "भाग्यशाली" होता हैं |
राजप्रिय योग :-
यदि सूर्य परम उच्च (मेष राशि में १० अंश) पर हो तथा नवमेश लाभ स्थान में स्थित हो तो मनुष्य राजा का प्रिय होता हैं |
यदि सूर्य परम उच्च (मेष राशि में १० अंश) पर हो तथा नवमेश लाभ स्थान में स्थित हो तो मनुष्य राजा का प्रिय होता हैं |
|| ॐ तत् सत् ||
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