जन्म समय में आकाश
पटल पर पूर्व क्षितिज में उदित होने वाली राशि को (जन्म कुंडली) में लग्न स्थान, प्रथम भाव, देह, तनु आदि नामों से
संबोधित किया जाता हैं |
प्रथम स्थान में उदित राशि के अनुसार जातक का शरीर सौष्ठव (शारीरिक रचना), मानसिक विचार प्रणाली, रूप (सुन्दरता), गुण एवं वर्तमान में जातक को किन परिस्थितियों का सामना करना पड सकता है उस पर विचार किया जाता है |
जन्मकुंडली में किसी भी प्रश्न पर विचार करने से पूर्व जातक की स्वविचारधारा क्या है ? इस बात का ज्ञान प्रथम स्थान से होता / किया जाता है |
जिस प्रकार किसी भी पेशंट का इलाज करने से पूर्व उसकी मुख्य बीमारी को जानना जरुरी है, ठीक उसी प्रकार ज्योतिष में यदि प्रथम भाव का विश्लेषण सही तरह से किया जाये तो जातक को भलीभांति समझा जा सकता है तथा उसके मुख्य प्रश्न का विश्लेषण कर उत्तम निष्कर्ष प्रदान किया जा सकता है |
|| ॐ तत् सत ||
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