Thursday, 9 February 2017

चतुर्थ भाव



जन्मपत्रिका में चतुर्थ भाव से सुख का विचार किया जता है, जो की उसकी विशेषताओ को देख कर सत्य प्रतीत होता है आइये जाने इसे,

सब से पहली बात चतुर्थ भाव से देखने में आती है जो है "माँ", माता का सुख जीवन में सभी सुखो की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण होता है क्योकि जब हम इस धरती पर जन्म लेते है तब एकमात्र माँ ही हमारे साथ होती है हर पल में, हर क्षण में, जब हम किसी भी परिस्थिति में डगमगाते है सर्व प्रथम माँ का ही नाम याद करते है इसी कारण चतुर्थ को सुख स्थान से संबोधित किया जाता है |

चतुर्थ स्थान में और भी कुछ सुख शांति की वस्तुए अवलोकित की जाती है जैसे घर, वाहन, वस्त्र, अलंकार आदि यह सब हमें भौतिक सुख प्रदान करते है |

चतुर्थ स्थान जन्मपत्रिका में तृतीय (पराक्रम स्थान) का धन स्थान है अर्थ यह है की हमारे पराक्रम का लक्ष्य हमें (मूल्य / सुख / शांति के रूप में) प्राप्त होगा या नहीं यह भी चतुर्थ स्थान से जाना जा सकता है |

|| ॐ तत् सत ||

Tuesday, 7 February 2017

पराक्रम भाव





जन्मपत्रिका में तृतीय स्थान अपने आप मे "एक कर्ता" की भूमिका निभाता है, तृतीय स्थान से व्यक्ति के पराक्रम एवं कर्म करने की क्षमता "कर्म के प्रति जागरुकता तथा कर्म कौशल का पराक्रम" ये बाते ज्ञात होती है |


हमारे शरीर का अत्यंत महत्वपूर्ण अंग जो हमरी भुजाये (हाथ) है उनका विचार इस स्थान से कीया जाता है |

तृतीय स्थान से जहा हम कर्म कुशलता के विषय में जान सकते है उसी प्रकार यदि कर्म करने में या पराक्रम करने में कोई अपयश आ रहा हो तो उसके बारे में भी जाना जा सकता है |

केवल शारीरक पराक्रम ही नहीं वरन भौतिक पराक्रम के बारे में जानने के लिए भी तृतीय स्थान का विशेष महत्व है |

कर्म में आने वाली अकारण समस्या अथवा कर्म पूरा होते होते रुक जाना यह सब हमारे पराक्रम पर ही तो निर्भर करता है |

हमने किसी कार्य के लिए यदि अपना पराक्रम १००% नहीं दिया है तो हम कितने भी बुद्धिशाली हो नुकसान हमारा ही होता है, क्योकि बुद्धि के साथ कर्म का भी तो जोड़ लगता है |

जन्मपत्रिका का तृतीय स्थान हमारे पराक्रम तथा कार्य में हो रही असफलताओ को दर्शाता है |


|| ॐ तत् सत ||