जन्मपत्रिका में चतुर्थ भाव से सुख का विचार किया जता है, जो की उसकी विशेषताओ को देख कर सत्य प्रतीत होता है आइये जाने इसे,
सब से पहली बात चतुर्थ भाव से देखने में आती है जो है "माँ", माता का सुख जीवन में सभी सुखो की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण होता है क्योकि जब हम इस धरती पर जन्म लेते है तब एकमात्र माँ ही हमारे साथ होती है हर पल में, हर क्षण में, जब हम किसी भी परिस्थिति में डगमगाते है सर्व प्रथम माँ का ही नाम याद करते है इसी कारण चतुर्थ को सुख स्थान से संबोधित किया जाता है |
चतुर्थ स्थान में और भी कुछ सुख शांति की वस्तुए अवलोकित की जाती है जैसे घर, वाहन, वस्त्र, अलंकार आदि यह सब हमें भौतिक सुख प्रदान करते है |
चतुर्थ स्थान जन्मपत्रिका में तृतीय (पराक्रम स्थान) का धन स्थान है अर्थ यह है की हमारे पराक्रम का लक्ष्य हमें (मूल्य / सुख / शांति के रूप में) प्राप्त होगा या नहीं यह भी चतुर्थ स्थान से जाना जा सकता है |
|| ॐ तत् सत ||